जहाँ मात-पिता को अपने पुत्र पे हो अभिमान, और पुत्री देवी समान । जहाँ मात-पिता को अपने पुत्र पे हो अभिमान, और पुत्री देवी समान ।
मशालों को तुम अपनी बुझाना मत उनसे घर किसी का जलाना मत, मशालों को तुम अपनी बुझाना मत उनसे घर किसी का जलाना मत,
यहाँ तक मैं भी खारी मिठास ! ये मिठास क्या होती है ? यहाँ तक मैं भी खारी मिठास ! ये मिठास क्या होती है ?
शर-शर करती भाग रही हूँ, शहर-गाँव मै लाँघ रही हूँ शर-शर करती भाग रही हूँ, शहर-गाँव मै लाँघ रही हूँ
कथा नदी की कौन लिखे तब, बिना मूल का पता लगाए। कथा नदी की कौन लिखे तब, बिना मूल का पता लगाए।
दिलों पर करके राज तुम मर कर भी जी लो ! दिलों पर करके राज तुम मर कर भी जी लो !